राग वृन्दावनी सारंग का परिचय | Raag Vrndavani Sarang Notes
वर्ज्य करे धैवत गंधार, गावत काफी अंग |
दो निषाद रे प संवाद, है वृन्दावनी सारंग ||
थाट – काफी जाति – औडव औडव
वादी – रे संवादी – प
आरोह – ऩि सा रे म प नि सां
अवरोह – सां नि प म रे सा
पकड़ – रे म प नि प, म रे, ऩि सा
समय – मध्यान्ह काल
न्यास के स्वर – सा, रे, प
सम्प्रकृति राग – सूर मल्हार
मतभेद – स्वर की दृष्टि से यह राग खमाज थाट जन्य माना जा सकता है, किन्तु स्वरुप की दृष्टि से इसे काफी थाट का राग मानना सर्वथा उचित है.
विशेषता
- इसके अतिरिक्त सारंग के अन्य प्रकार हैं – शुद्ध सारंग, मियाँ की सारंग, बड़हंस की सारंग, सामंत सारंग
- इसके आरोह में शुद्ध और अवरोह में कोमल नि का प्रयोग किया जाता है.
- ऐसा कहा जाता है की इस राग की रचना वृन्दावन में प्रचलित एक लोकगीत पर आधारित है.
- इसमें बड़ा ख्याल, छोटा ख्याल और तराना आदि गाये जाते हैं.
Introduction to Raag Vrindavani Sarang Notes
Varjya kare dhaivat gandhar, gaavat kafi ang.
Do Nishad Re Pa Samvad, Hai Vrindavani Sarang ||
Thaat – Kafi Jati – Audaav Audaav
Vaadi – Re Samvadi – Pa
Ascendant – Ni Sa Re Ma Pa Ni Sa
Descendant – Sa Ni Pa Ma Re Sa
Pakad – Re Ma Pa Ni Pa, Ma Re, Ni Sa
Time – Midday period
Swaras of Nyas – Sa, Re, Pa
Sampraak Raga – Sur Malhar
Differences – From the viewpoint of tone, this raga can be considered to be derived from Khamaj Thaat, but from the viewpoint of form, it is completely appropriate to consider it to be a raga of Kafi Thaat.
Features
Apart from this, there are other types of Sarang – Shuddha Sarang, Miyan Ki Sarang, Badhans Ki Sarang, Samant Sarang
In its ascent, Shuddha Ni is used and in descent, Komal Ni is used.
It is said that the composition of this raga is based on a folk song popular in Vrindavan.
Bada Khayal, Chota Khayal and Tarana etc. are sung in it.